About Us

Who We Are

SARDAR FERTILIZERS PVT. LTD. Is a agriculture and FMCGs products based company and deals with products like BIO-FERTILIZER, ANIMAL FEED & FAST MOVING CONSUMER GOODS. We stand committed to the development of agriculture & consumer convenience which is the backbone of our economy. we strongly believe that the way to improve our country's economy is to boost agriculture productivity. We focus mainly on customer satisfaction and services by providing best quality product with enormous range.

 

BIO-FERTILIZER PRODUCTS:-

 

Sardar Cop :- पौधो के जीवन चक्र में सभी तत्वों की तरह कॉपर भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है क्योकि यह पौधो में प्रकाश संशेलेशण.भोजन निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रायः इसकी कमी से पत्तिया लिपट जाती है। जिससे पौधे अच्छी तरह से प्रकाश संशलेषण की क्रिया नही कर पाते है। और कमजोर हो जाते है।

 

प्रायः यह देखा गया है कि लगातार एक ही जमीन में हर साल आलू एवं सब्जियों की उपज लेने से कॉपर की कमी आ जाती है। और यह कमी पौधों के पूर्ण विकास अवस्था पर दिखाई देती हैं अतः उस अवस्था में तत्काल कॉपर की पूर्ति तरल कॉपर के रूप में पत्तियों में छिड़काव द्वारा की जा सकती है

 

लाभः    1. आलू में कापड़िया नामक रोग से बचाव करते है।

  1. विभिन्न प्रकार की फसलों जैसे कि आलू, कपास, टमाटर प्याज लहसुन और गोभी को फंफूदजनित रोगों से बचाता है।

सरदारव्बैक्ट (बैक्टिनिल)

उपयोग विधिळ-पर्णीय छिड़काव : 20 ग्राम पाउडर को 45-50 लीटर पानी में मिलाकर पर्णीय छिड़काव करें।

फायदा :

  1. रोगकारक जीवाणुओं के नियंत्रण के लिए अति उत्तम।
  2. यह आधुनिक बेक्टेरिया नाशक पावडर है जो काम मात्रा में उपयोग करना पड़ता है उसके उपयोग से अधिकांश बेक्टिरियल बीमारियों पर रोकथाम की जा सकती है जैसे-विल्ट सॉफट, बैक्टिरियल, लीफ ब्लाईट, ब्लेक आर्म डिसीज, सीड़िंग ब्लाईट, साइट्रस केन्कर इत्यादि।

सरदारव्सल्फज्ञ (सल्फोमिन)

पौधों को सामान्यतः 16 तत्वों की आवश्यक्ता होती है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश के बाद सल्फर पौधों की वृद्धि के लिये अति महत्वपूर्ण है। पौधों में प्रोटिन के निर्माण, नाईट्रोजन के चय-अपचय बढ़ाने के लिये और रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिये अतिरिक्त सल्फर का उपयोग लाभकारी है। सल्फर की कमी से पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है, उनका रंग सामान्य हरे से बदल जाता है और मर भी सकता हैं फूलों के सामानय रंग बनाने के लिये सल्फर बहुत उपयोगी है। तिलहनी फसलों जैसे सोयबीन, मूंगफली, सरसों आदि में तेल की अधिक मात्रा बनाने के लिये सल्फर की मुख्य भूमिका होती है। इसका उपयोग सभी प्रकार की सब्जियों विशेषकर प्याज, लहसुन लाभकारी है। सल्फोमिन में सल्फर घुलित अवस्था में नीम सत के साथ में है, जो कि पौधों के ऊपर छिड़कने से तुरंत पत्तियों द्वारा अवशोषित हो जाता है और सल्फर की कमी को पूरा करता है। फसलों, फूलों और सब्जियों में यह फफूंद जनित रोगों जैसे भभूतिया, कुकड़ा आदि को कम करता है और अन्य रोगों से बचाव के लिये पौधों में नुकसान पहुॅचाने वाले छोटे कीड़ों और अन्य बिमारियों से बचाता है। सल्फोमिन का नियमित उपयोग करने से अन्य मंहगे एवं नुकसानदायक कीटनाशकों-फफूंदनाशकों की आवश्यक्ता कम होती है और फसलों में उत्पादन में कमी आती है तथा पैदावार में 10 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

मात्रा-400 से 500 मि.ली. प्रती एकड़ या 40 से 50 मि.ली. प्रति 16 लीटर पम्प या 3 से 4 मि.ली. प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।

उपयोग-सल्फोमिन का उपयोग सभी प्रकार की फसलों- (तिलहन, दलहन) विशेषकर सोयाबीन, अरहर, मूंगफली, सरसों, चना, आदि एवं सब्जियों में पहला छिड़काव बुआई के बाद 21 से 28 दिन में, दूसरा 35 से 42 दिन में और आवश्यक्ता होने पर विशेष रूप से प्याज, लहसुन आदि में 50 से 57 दिनों में करना चाहिये। फलों में प्रथम छिड़काव फूल आने पर, द्वितीय-फल आने पर और तृतीय फल के विकास के समय पर करना चहिये। फूलों में जैसे-गुलाब, गेंदा, शेवन्ती व सभी प्रकार के फूलों आदि में, हर 15 से 21 दिन में छिड़काव करना चहिये।

नोट-सल्फोमिन का छिड़काव सभी प्रकार के कीटनाशकों - फफूंदनाशकों के साथ मिलाकर किया जा सकता है। पंरतु सिर्फ सल्फोमिन का छिड़काव ज्यादा लाभकारी पाया गया है।

सल्फोमिन का उपयोग हमारे नियंत्रण के बाहर होने के कारण हम केवल उसकी एकसार गुणवत्ता के अलावा किसी भी प्रकार के नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लें सकते हैं।

 

Sardar Zinc :- फसलों के अच्छे उत्पादन के लिये जल और अन्य महत्वपूर्ण तत्व जैसे कि उर्वरक बीज और खाद बहुत ही आवश्यक है। और जिंक एक ऐसा उर्वरक है, जिसकी सहायता से पौधो की वृद्धि बहुत ही तीव्र गति से होती है। क्योंकि इसमें जिंक की कम से कम 12 प्रतिशत मात्रा होती है, जो कि पौधों का पूर्ण विकास करने में सहायक होती है।

 

उपयोग विधिः-

  1. इसका छिडकाव सुबह और शाम को करना चाहिए।
  2. तेज धूप में उसका छिडकाव नही करना चाहिये।
  3. यदि बरसात की सम्भावना हो, तो इसका छिडकाव नही करना चाहिए।

 

Sardar Boro:-

 

Sardar boro एक ऐसा पोशक तत्व है जो कि पौधों की क्रियाविधि के लिये फसल जैसे कि अल्फला, सेव, ब्रोकोली, गोभी, गाजर, अजवाइन, नीबू, प्याज, टमाटर और शलजम आदि को अधिक मात्रा में उत्पादन किया जा सकता है।

यह पौधों में चीनी और र्स्टाच का संतुलन बनाये रखता है। जिसके कारण पौधों में प्रोटीन का गठन आसानी से हो जाता है। और फसलों का उत्पादन सही मात्रा में और सही समय पर हो जाता है।

 

सरदारव्फ्लोवर (फ्लोमिन)

 

फलोमिन प्राकृतिक फूल वर्धक व पौध वर्धक है। फलोमिन का विकास सतत् अनुसंधान पर आधारित है। उपयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि फलोमिन विभिन्न पौधों की वृद्धि में सहायक तो है हि विशेष रूप से इसका प्रयोग जब फूल आने की अवस्था में किया जाता है। तो यह पुष्प उत्पादन में भरपूर सहयोग करता है और पुष्प उत्पादन को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ा देता है। निश्चित रूप से इस गुण के कारण फलों में भी वृद्वि होती है। इसके कारण कुल उत्पादन बढ़ता है।

अवस्था, उपयोग,                       लाभ-

  1. जब पौधे में साधारण विकास हो रहा होता है तब पुष्प आने की अवस्था में फलोमिन के उपयोग से पुष्प वृद्वि बढ़ती है।
  2. पौध वृद्धिकारक होने के साथ-साथ उपज 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ाता है।
  3. फूल व फलों का साईज बढ़ाता है तथा लम्बे समय तक असर रहता है।

फायदा-

  1. स्वस्थ गहरे हरे-पौधे।
  2. ज्यादा शाखाएं, अधिक फूल-फल।
  3. नियंत्रित पौध वृद्धि।
  4. उन्नत गुणवत्त युक्त अधिक पैदावार।

 

मात्रा- 2-3 मि.ली. (पौधो की अवस्था के अनुसार) प्रति लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह मिलाऐं। किसी भी पेस्टीसाईड, हरबीसाईड के साथ में उपयोग किया जा सकता है।

पैकिंग- 250 मि.ली., 500 मि.ली. 1 लीटर पैकिंग में उपलब्ध है।

वारंटी- उत्पाद का प्रयोग हमारे नियंत्रण के बाहर होने के कारण हम एक समान गुणवत्ता के अतिरिक्त अन्य काई भी जिम्मेदारी नही ले सकते।

सरदारव्अमृत (मल्टीमिन)

 

मल्टीमिन में ब्रासिनोलाईड है जिसका कम मात्रा में उपयोग करने से भी पौधा मजबूत और भरपूर फल-फूल वाली फसलों के लिये वरदान साबित हो रहा है।

प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि मल्टीमिन की 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की मात्रा में मिलाकर फसल व सागसब्जियों में 30-45 दिन की अवस्था में छिड़कने पर फल फूल अधिक निकलते हैं। अनावश्यक वृद्धि व बढ़वार कम होती है। इनमें अनोखे वद्धि नियंत्रक हारमोन व फल फूल बढ़ाने वाल जैविक तत्व उपलब्ध हैं जो फसलों में खाद व दवा अथव अन्य टॉनिक उपलब्ध नहीं है। मल्टीमिन का फसल व सब्जियों पर प्रथम छिड़काव 30 से 45 दिन में तथा दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद करने से चमत्कार परिणाम प्राप्त होतें हैं।

फसलें- टमाटर, बैगन, लौकी, करेल, गिल्की, चवली मिर्च, तुअर, सोयाबीन, भिंडी, प्याज, गोभी आदि पर इसके शानदार परिणाम देखें गये है। फूलों में अंग्रेजी गुलाब, हैदरबादी गुलाब शेवन्ती व जरबेरा पर ज्यादा फुटाव आता है एवं फूलों का रंग आता है।

पैकिंग- 100 मि.ली. 250 मि.ली. 500 मि.ली. 1 लीटर एवं 5 लीटर

मात्रा- 2-3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में अथवा 16 लीटर वाले पंप में 25 से 30 मि.ली. मल्टीमिन पर्याप्त होता है। फसल की विभिन्न अवस्थाओं में 2 बार छिड़काव होना आवश्यक है। प्रति एकड़ 250 से 300 मि.ली. फसल व उसकी अवस्था के अनुसार छिड़काव किया जाये। इसे अन्य कीटनाशकों व फफूदनाशको के साथ भी मिलाया जा सकता है।

 

नोट- छिड़काव व मौसम की प्रतिकूलता तथा प्रयोग, हमारे नियंत्रण में न होने के कारण हम उत्पादन की एकरूपता।

 

सरदारव्न्यूट्रा (न्यूटीमिन)-(प्राकृतिकग्पौधवर्द्वक)

 

असरदार बेहद लाभदायक

 

अब प्रस्तत है, विश्वप्रसिद्ध तकनीकी युक्त आधुनिक-बेहद असरकारक व लाभदाय न्यूट्रीमिन। जो बढ़ाता है पौधो में जोरदार फूल और फल हरी सब्जियों में वजन। एक बार आजमाकर अवश्य देखें, यह सभी फसलों के लिए लाभदायक है। फसलों पर निम्न प्रकार से प्रभाव करता है। अवस्था, उपयोग, लाभ

  1. बीज बोने से पहले उपयोग करने से अंकुरण बढ़ता है।
  2. सहज ही जड़ो का उचित विकास होता है।
  3. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  4. पौध वृध्दिकारक होने के साथ-साथ उपज 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ाता है।
  5. फूल व फलों का साईज बढ़ाता है तथा लम्बे समय तक असर रहता है।

 

फायदा

  1. नियंत्रित पौध वृद्धि।
  2. स्वस्थ गहरें हरे-पौधे।
  3. अधिक गठानें, ज्यादा शाखएं, अधिक फूल फल।
  4. उन्नत गुणवत्ता युक्त अधिक पैदावार।

मात्रा-8-10 मि.ली. (पौधो की अवस्था के अनुसार) प्रति 16 लिटर पानी में डालकर अच्छी तरह मिलाऐ (16 लिटर पंप में)। 2 से 3 रार 2 से 3 सप्ताह के अंतराल में छिड़काव करें।

पैकिंग-25 मि.ली., 50 मि.ली., 200 मि.ली., 500 मि.ली. पैकिंग में उपलब्ध है।

वारंटी- उत्पाद का प्रयोग हमारे नियंत्रण के बाहर होने के कारण हम एक समान गुणवत्त के अतिरिक्त अन्य कोई भी जिम्मेदारी नही ले सकते।

                                                      

सरदारव्पीजीआरश्र(ह्मुमिक जैल)

ह्मुमिक अम्ल, जैव पदार्थो के जमीन में उपस्थित जीवाणुओं के विघटन द्वारा इसमें पोषक तत्वों को सोखने एवं बाद में आवश्यक्तानुसार पौधों को उपलब्ध करनें की असीम क्षमता होती है। ह्मुमिक जैल में 16 प्रतिशत ह्मुमिक अम्ल होता है, इसमें अम्ल पौधें को फायदा पहुॅचाने वाले फन्गस, बैक्टीरिया, एन्जाइम, बीस्ट और पोधें में आसानी वाले चीलेटेड माइक्रो तत्व होते है। यह सभी मिलकर ह्मुमिक जैल को एक तेज रूप प्रदान करते है।

ह्मुमिकळजैल4के जैविकळ लाभ

  1. पौधों की कार्बनिक क्रियाओं को तीव्र करता है।
  2. एन्जाइम तंत्र को बढ़ाता है।
  3. सभी तत्वों एवं सूक्ष्म तत्वों के अवशोषण को तेज करता है।
  4. विटामिनों की मात्रा को बढ़ाता है।
  5. बीजों की अंकुरण क्षमता को बढ़ाता है।
  6. जड़ो में जैव कणिकाओं की विभाजन गति को तेज करता है। जिसके परिणाम स्वारूप पौधों का विकास जल्दी होता है।
  7. फसल की बढ़वार अच्छी होने के कारण अच्छा उत्पादन मिलता है।
  8. वैज्ञानिक सर्वे के आंकड़े बताते है कि ह्मुमिक जैल के उपयोग से अंगूर में लगभग 30 प्रतिशत व लगभग 28 प्रतिशत की उपज में वृद्धि देखी गई है। सोयाबीन, मटर, गेंहुॅ और अन्य फसलों में 24 प्रतिशत की उत्पादन वद्धि देखी गयी है। हरी सब्जियों जैसे-फूल गोभी, पत्तागोभी, धनिया, पालक, मैथी, मिर्च, शिमला मिर्च आदि में भी लगभग 20 से 25 प्रतिशत तक की उत्पादन वृद्धि मिली है। गुलाब के पौधों पर फुटाव ज्यादा होता है और फूल अधिक संख्या में बड़े आते है।

 

मात्रा-बीज अंकुरण बढ़ाने के लिए-2 से 3 मि.ली. प्रति किलो में बीज मिलाये। पौधो पर छिड़काव - 500 से 1000 मि.ली. 30 से प्रति एकड़ में पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

उपयोग- ह्मुमिक जैल का उपयोग सभी प्रकार की पौध क्रियाओं में लाभदायक है। इअसका पहला उपयोग बीज लगाते समय करें, दूसरा छिड़काव 21 से 28 दिनों में करे, व तीसर छिड़काव कली बनने की अवस्था में य 45 से 55 दिनों में करना चाहिये। बहुवर्षीय फलों जैसे अंगूर, संतरा, नींबू, आम, सेब, पपीता, जाम अदि में ह्मुमिक का छिड़काव कटिंग के तुरंत बाद और कली आने पर या हर 30-45 दिनों के अंतर से करने पर फल अधिक आते है, परंतु वैज्ञानिक की यह सिफारिश् है कि इसका छिड़काव बिना किसी अन्य कीटनाशक फफूंदनाशक के अधिक लाभदायक है। इस उत्पादन का उपयोग हमारे नियंत्रण में नही होने के कारण हम उपयोग या अन्य किसी प्रकार की हानी की जिम्मेदारी नही ले सकते है।

सरदारव्वेटज्ञ (वेटामिन)

कीटाशक, फंफूदनाशक व खरपतवारनाशक दवाओं को फैलाने एवं चिपकाने हेतु

 

वेटामिन- कृषि उपयोग चिपकने वाला पदार्थ एलोवेरा सत से निर्मित नान आयोनिक एल्किल- एरिलसल्फोनेट क्रिया विधी- वेटामिन पानी की बून्द के साथ उपयोग में लाई हुए फफून्दनाशक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक अदि दवाओं को पत्ती की पूरी सतह पर फैलाने व चिपकाने का काम करता है।

साधारणतया-60-70 प्रतिशत ही रिजल्ट मिलता है। जबकि वेटमिन पंप में 15-20मि.ली. के उपयोग से 90 से 100 प्रतिशत परिणाम प्राप्त है। वैज्ञानिक तरीके से आपकी मनपसंद दवाओं का 100 प्रतिशत रिजल्ट प्राप्त किया जा सकता है।

चिपकने और फैलने वाला पदार्थ- बेहतरीन क्वालिटी होने के कारण अपेक्षा कृत बहुत कम मात्रा में उपयोग करना पड़ता है।

वेटमिन के उपयोग से फायदे-

 

 

  1. वेटमिन कीटनाशक फफूंद नाशक माईक्रोन्यूट्रियेन्ट आदि खरपतवार नाशक दवाओं को पानी में घुलनशील बनाने में सहायक होती है।
  2. वेटमिन के उपयोग में स्प्रे पंप बहुत ही आश्चर्यजनक ढ़ग से सहज और हल्के दाब पर काम करने लगतें है।
  3. वेटमिन के उपयोग से स्प्रे के दौरान पत्तियॉ अच्छे से धुल जाती है। जिसके कारण उपरी सतह साफ हो जाती है। और दवांओं के अधिकतम अवशोंषण में सहायक होती है।
  4. खरपतवार नाशक दवाओं के साथ महत्वपूर्ण परिणाम है।

यह एक वैज्ञानिक सत्य है कि विटामिन के प्रयोग से दवा, पौधों पर अच्छी तरह फैलती व चिपकती है। इससे दवाओं का प्रभाव 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

 

सरदार (सल्फोझाईम) जैव निस्तारिण पौषकन्खाद (तरलटव.दानेदार)

सल्फोझाईम वास्तव में समुन्द्री काई का अर्क है। विशेष यह काई एल्कोफायलम नोडुसम है। जिसके उपयोग से वैज्ञानिकों को विभिन्न प्रजाती की पौधों में विशेष उन्नत प्राप्त हुई है? कम समय में विपरीत परिस्थितियों में भी अधिक उत्पाद देने में सक्षम होती है?

समुद्री काई अर्क पौधों और मृदा कोनाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि कुछ सूक्ष्म तत्व भी प्रदान करतें है। जैसे-्रदए उदए उहए मिए बनए इण्ए ेप आदि। समुन्द्री काई अर्क में प्राकृतिक पौध वर्धक खनिज जैसे- ऑक्सिन, जिबरेलिन, सायटोकायनिन आदि समहित होता है। विशेष यह कि समद्री काई सूक्ष्म तत्व प्राकृतिक चीलटेड फार्म में उपस्थित होते है। और पौधों की वृद्धि के लिये उपलब्ध होते है।

एस0डब्लू0ई0 के उपयोग सेजोफल प्राप्त होते हैं? उनकी संधारण क्षमता भी ज्यादा होती है।

 

एस0डब्लू0ई0 के उपयोग से पौधों का तना मजबूत पत्तियों की प्रकाश संश्लेषण की क्षमता और पत्तियों की वर्धक प्रक्रिया तेज हो जाती है। जिससे फसल वक्त पर मिलती है।

एस0डब्लू0ई0 सल्फाझाईम के उपयोग सेजमीन की उर्वरा शक्ति अधिक पैदावार बढ़ती है। मृदा में आवश्यक खनिज उपर्युक्त मात्रा में मिता है तथा सल्फोझाईम के उपयोग से कुछ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। सल्फोझाईम से फलोवरिंग बढ़ोत्तरी होती है।फल का आकार बढ़ता है और कुल उत्पाद भी बढ़ता है। साथ ही गुणवत्ता भी बढ़ती है।

उपयोग विधी- तरल-30-50 मि.ली. प्रति पम्प 500 ग्राम 1 लीटर

तरल-6 से 8 कि.ग्रा. प्रति एकड़, फसल की अवस्थ अनुसार।

तरल एवं दानेदार झाईम सभी फसलां व सब्जियों के लिये उपयोगी।

 

 

 

सरदारव्पारस

 

विशेषताएं-

  1. जैविक क्रियाओं को उत्तेजित करता है। पौध वृद्धि में सहायक होता है।
  2. इसके प्रभाव से जमीन की जैविक, भौतिक व रासायनिक स्थिति उत्तम होती है। जिससे उन्नत किस्म की फल सब्जियॉ जैसे-अनार, अंगूर, अनाज, गन्ना, आलू अन्य सब्जियॉ आश्चर्यजनक रूप से पैदा होती है।

निरन्तर बदलते हुये वातारण्, पौधे को बदलते हुए वातावरण के अनुरूप बदलने के लिए विवश करता है। इस स्थिती में पौधा अपनी ऊर्जा को सुरक्षित रखने के लिए अन्य सभी गतिविधियॉ श्वसन क्रिया, उर्जा निर्माण, स्थानातरण आदि को धीमा कर देता है। इससे पौधे पर अनचाहा दबाव पड़ता है। इस तनाव के चलते पौधा अपनी अनुवांशिक क्षमता के अनुसार विकास नही कर पाता। फसल को तनाव की स्थिती से उबारना किसान की प्रमुख चुनौतियों में से एक है। तनाव निम्न प्रकार के होंते है।

  1. हवामान निर्मित तनाव- ठण्ड, गर्मी तेज हवा, सतत वर्ष या जलमग्न स्थिती, सूखापन आदि परिस्थितियों पौधा अपने पर्णरंध्र को बंद करता है इससे स्वसन क्रिया मंद हो जाती है, प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कम होती है, पोषण का उपाचयन में कमी होती है, उर्जा का निर्माण कम होता है। उर्जा की कमी होने से पौधे की वृद्धि तथा फल का आकार वजन गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा पैदावार प्राभावित होती है।
  2. जैविक तनाव- कीट प्रकाप, फंफूद, बैक्टिरिया, वायरस तथा सूत्रकृमि आदि सभी पौधे के पोषण से पोषित होकर फसल को नुकसान पहॅुचाते है। इससे पौधे की शारीरिक विकास, प्रत्युत्पादन में अवरोध उत्पन्न होता है तथा गिरावट आजाती है।
  3. पौधे वृद्धि अवस्था संबधित तनाव- बीज से आरंभ होकर बीज बनने तक की अपने जीवनकाल में एक पौधे को विभिन्न अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है हर अवस्था से गुजरने पर फसल का अत्यधिक तनाव का सामन करना पड़ता है। इससे पौधे वृद्धि पुष्पन, फलनिर्माण, फल विकास तथा पक्वता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  4. खेत प्रबंधन तनाव- प्रत्यारोपड़, कुलपा चलाना, मिटटी चढ़ाना आदि खेती संबधित शल्य क्रियाओं के दौरान पौधे के विभिन्न अंगों पर चोट लगती है तथा वृद्धि में बाधा आती है।
  5. रासायनिक तनाव- खरपतवारनाशी, कीट-फफूंदनाशी रसायनों के प्रभाव से होने वाले कुप्रभाव। इससमें अंकुरण पश्चात उपयोग में लेने वाला खरपतवारनाशी सबसे ज्यादा तनाव पैदा करते है। इससे 8-10 दिन तके पौध की वृद्धि रूक जाती है। अरंभिक वृद्धि के स्गिन के चलते मुख्य तनों में कम गठानें बनती है।और शाखाओं की संख्या में भी कमी होती है और पैदावार में कमी आती है। पौधे को हमेशा किसी ना किसी तनाव की स्थिती से गुजरना पड़ता है तनाव निवारण कुशल फसल प्रबंधन का मुख्य अंग है।

तनाव के दौरान स्थगित हुए पौध विकास को समतोल आहार से कैसे बढ़ाया जाये, यह प्रश्न कृषि विशेषज्ञों के मन में आया। हम सभी जानते है कि किसी भी जीव के विकास के लिए समतोल पोषण अति आवश्यक है। ठोस किए गए। इससे अदभुत परिणाम सामने आए पौधों पर पड़ने वाले तनाव का पूर्ण रूप से निवारण हो चुका था तथा साथ ही उत्पाद में तेल, प्रोटीन एवं वसा के स्तर में बढ़ोत्तरी और पैदावार में वृद्धि भी पाई गयी। पारस में - 80 प्रतिशत ह्मुमिक एसिड, 10 प्रतिशत अमोनिया एसिड, 10 प्रतिशत सी0वीक0 एक्स्ट्रेक्ट उपयोग विधि एवं मात्रा-200 ग्राम प्रतिबीघा, 25 दिन में पुनः प्रयोग। मृदा में नया जीवन देने हेतु पारस का उपयोग कर अधिक भरपूर पैदावार प्राप्त करें।

 

OUR PESTICIDES PRODUCT

 

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ATRAZINE 50% WP

Ÿ

IMIDACLOPRID 30.5% SL

Ÿ

ALPHACYERMETHRIN 5%WP

Ÿ

IMIDACLOPRID 48%FS

Ÿ

ANILOFOS 24%W.W.+2,4+D ETHYL ESTER 32% EC

Ÿ

LINDANE 1.3% DP

Ÿ

ACEPHATE 75%SP

Ÿ

LINDANE 6% GR

Ÿ

ALPHANAPHTHYLACETIC ACID 4.5%SL

Ÿ

LINDANE 20% EC

Ÿ

ANLOFOS 30%EC

Ÿ

LINDANE 6.5% WP

Ÿ

ALPHAMETHRIN 10% EC

Ÿ

LAMBDACYHALOTHRIN 5% EC

Ÿ

ACEPHATE 25%+ FENVALRTE 3% EC

Ÿ

LAMBDACYHALOTHRIN 10% WP

Ÿ

ACEPHATE 50%+IMIDACLOPRID 1.8%SP

Ÿ

MELATHION 5% DP

Ÿ

ACETAMIPRID 20% SP

Ÿ

MELATHION 25% WP

Ÿ

ALLETHRIN 3.6%LIQUID

Ÿ

MELATHION 50% EC

Ÿ

BUTACHLOR 50% EC

Ÿ

MANCOZEB 75% WP

Ÿ

BUTACHLOR 5% GR

Ÿ

METHYL PARATHION 2% DP

Ÿ

CARBARYL 5% DP

Ÿ

METHYL PARATHION 50% EC

Ÿ

CHLORPYRIPOS 20% EC

Ÿ

METHYL PARATHION TECHNICAL

Ÿ

COPPER OXY CHLORIDE 50%WP

Ÿ

MONOCROTOPHOS 36% SL

Ÿ

CARBOFURAN 3% CG

Ÿ

MONOCROTOPHOS TECHNICAL

Ÿ

CYPERMETHRIN 10% EC

Ÿ

METALAXLY 8%+ MANCOZEB 64% WP

Ÿ

CYPERMETHRIN 25% EC

Ÿ

METRIBUZIN TECNICAL

Ÿ

CHLORPYRIPHOS 50%+ CYPERMETHRIN 5% EC

Ÿ

MANCOZEB 75% WG

Ÿ

CHLORMEQUAT CHLORIDE 50% SL

Ÿ

NEEM OIL BASED EC CONTAINING

Ÿ

CARTAPHYDROCHLORIDE 4% GR

Ÿ

AZADIRACHTIN 0.03% W/W MIN

Ÿ

CARTAPHYDROCHLORIDE 50% SP

Ÿ

OXY DEMETON METHYL 25% EC

Ÿ

CARTAP HYDROCHLORIDE TECHNICAL

Ÿ

PHENTHOATE 2% DP

Ÿ

CARBENDAZIM 12%+MANCOZEB 63% WP

Ÿ

PHENTHOATE 50% EC

Ÿ

CYPERMETHRIN 0.25% DP

Ÿ

PHORATE 10% CG

Ÿ

CYPERMETHRIN 3% + QUINALPHOS 20% EC

Ÿ

PHOSALONE 35% EC

Ÿ

CHLORPYRIPHOS 10%GR

Ÿ

PHOSPHAMIDON 85% SL

Ÿ

CHOLRIMURON ETHYL 25% WP

Ÿ

PROFENOFOS 40% + CYPERMETHRIN 4% EC

Ÿ

CHLORPYRIPHOS 1.5% DP

Ÿ

PROFENOFOS 50% EC

Ÿ

DECAMETHRIN 2.8% EC

Ÿ

PRETILACHLOR 50%EC

Ÿ

DIAZINON 20% EC

Ÿ

PYRETHRUM 2% EXTRACT

Ÿ

DIMETHOATE 30% EC

Ÿ

PARAQUATE DICHLORIDE 24% SL

Ÿ

DICHLORVOS 76% EC

Ÿ

QUINALPHOS 1.5% DP

Ÿ

DICOFOL 18.5% EC

Ÿ

QUNIALPHOS 5% GR

Ÿ

DELTAMETHRIN 1%+ TRIAZOPHOS 35% EC

Ÿ

QUINALPHOS 25% EC

Ÿ

DELTAMETHRIN 2.5%WP

Ÿ

SULPHUR 85% DP

Ÿ

DELTAMETHRINO.75%+ ENDOSULPHAN 29.75%EC

Ÿ

SULPHUR 80% WP

Ÿ

DELTAMETHRIN 1% RTU

Ÿ

SULPHUR 80%WDG

Ÿ

2,4-D ETHYL ESTER 38% EC

Ÿ

SPINOSAD 45% SC

Ÿ

ENDOSULPHAN 2% DP

Ÿ

SPINOSAD 2.5% SC

Ÿ

ENDOSULPHAN 4% DP

Ÿ

SULFOSULFURON 75% W.G.

Ÿ

ENDOSULPHAN 35% EC

Ÿ

SULPHUR 40% SC

Ÿ

ETHION 50% EC

Ÿ

THIRAM 75% DS

Ÿ

ETHEPHON 39%SL

Ÿ

TRIZOPHOS 40% EC

Ÿ

ETHION 40%+CYPERMETHRIN 5%EC

Ÿ

TRIZOPHOS 20% EC

Ÿ

FENVALRATE 0.4% DP

Ÿ

TEMEPHOS 50% EC

Ÿ

FENVALRATE 20% EC

Ÿ

TRIFLURALINE 48% EC

Ÿ

FENOXAPROP-P-ETHYL 9.3% EC

Ÿ

TRICYCLAZOLE 75% WP

Ÿ

FENOXAPROP-P-ETHYL 10%EC

Ÿ

ZIRAM 80% WP

Ÿ

FLUCHLORALIN 45%EC

Ÿ

ZIRAM 27%SC

Ÿ

GIBERELLIC ACID TECHNICAL

Ÿ

ZINC PHOSPHIDE 2% R.B.

Ÿ

GIBERELLIC ACID O.OO1%L

Ÿ

ZINC PHOSPHIDE 80% W/V

Ÿ

HEXACONAZOLE 5% EC

Ÿ

METSULFURAN METHYL 20% WP

Ÿ

ISOPROTURON 50% WP

Ÿ

FENAZA QUIN 10% EC

Ÿ

ISOPROTURON 75% WP

Ÿ

PANDIMETHALIN 30% EC

Ÿ

INDOXACARB 14.5%SC

Ÿ

 CARBENDAZIM 50% WP

Ÿ

IMIDACHLOPRID 17.8%SL

Ÿ

 PANDIMETHALIN 30% + IMAZETHAPYR 2% EC

Ÿ

IMAZETHAPYR 10% SL

 

 

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